Thursday 14 February 2013

यादव समाज की अस्मिता गौ एवं गौचर रक्षा

प्रिय डॉ. मन्तराम यादव 'रऊताही वार्षिकांक निकालते हैं। मुलाकातों और चर्चाओं  से मैं जान चुका हूं कि उनके मन में समाज की बेहतरी के लिए बड़ी व्याकुलता है। जागृति की जिज्ञासा है। हृदयगत उनके भावों का प्रकटीकरण पत्रिका और उत्सव के माध्यम से हम देखते भी हैं।
यादव समाज गोधन का पालक और संरक्षण में समर्पित रहा है। गौ वंश की रक्षा से कृषि कार्य की उन्नति का अन्योन्याश्रित संबंध है। विष विहीन अन् न हम पाते रहे हैं। लेकिन स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के सभी क्षेत्रों को तरक्की के विदेशी विचारों के प्रभाव में प्रयोग शाला बनाकर परम्परागत प्रयोग सिद्ध पैमानों को परिवर्तित करने का जो ज्वार भाटा आया उससे प्राचीन प्रबंधन के परखचे उड़ गये। गोवंश की संख्या कसाई खानों के कारण और गोचर भूमियों में दिनोदिन कमी के साथ सेवा भावना में आई शिथिलता की वजह से कम हुई। समाज गत कामों में मन पसन्द बदलावा आया। फलस्वरूप शहरी सोच की हवा ने सब पर प्रभाव डाला तब यादव समाज भी उससे अप्रभावित कैसे रह सकता था ? यह सब होते हुए भी यादव समाज में अभी भी अपनी अस्मिता का एहसास है। संगठन की भावना बढ़ी है और जागृति की ज्योति जली है।
यादव समाज के नाम से होने वाला 'राउत बाजार अनूठा वार्षिकोत्सव है। बिना किसी भेदभाव के यह सबका अपना, खुशियाली का खासा त्यौहार है। बच्चे बूढ़े सब प्रसन्न होते हैं। नयी फसल के आ जाने से सबके हाथ खुले रहते हैं। लेना-देना दिलदारी से हुआ करता है।
मेरे मन में एक बात आ रही है जिस ओर कमोबेश लोगों का ध्यान जितना होना चाहिये उतना नहीं है। वह है गौचर भूमि का अनाप-शनाप अतिक्रमण हटाना। संगठित समाज द्वारा इसके लिए पहल करने का अच्छा परिणाम हो सकता है। इसके लिए यादव समाज आवाज बुलंद करे। अतिक्रमण स्वयं किये हो तो उसे पहले छोड़ दें उससे दूसरों पर प्रभाव पड़ेगा। पंचायतों से प्रस्ताव पास करावें, स्वेच्छा से छोड़ते भावना जगाने का प्रयास करें। नाचते समय कहे जाने वाले दोहों में इस विचार को व्यक्त करें। सरकार से मांग करे। गौ माता के शुभाशीष का सुफल मिलेगा। गोपाल शब्द की सार्थकता होगी।
देवरहट के आयोजन पर प्रकाशित 'रऊताहीÓ प्रेरणास्पद होवे। शुभकामनाएं।
साभार- रऊताही 1996

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