Thursday 21 February 2019

छत्तीसगढ़ मा गीत परम्परा

गीत के जनम कोनो अज्ञात कवि के  मुंह ले लोक जीवन मा होय हे। इही कारण ए कि लोक गीत लोकजीवन के श्रृंगार नोहे बल्कि वोकर आत्मा आय।  ए लोक गीत हमर खेतिहर समाज के जीवन पद्धति अऊ संस्कृति के दरपन आय। बरसो ले प्रचलित लोकगीत वाचिक परम्परा के अइसे बहाव आय जमा वोकर अन्तर्मन के व्यथा कथा छलकथे।
लोकगीत अपन संस्कृति के मुंह बोलत चित्र आय। लोक के भाऊक अउ निरमल मन जनम ले मरन तक लोक गीत मन के सहारा खोजथे। जनम के मरन तक ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ मा तो नारी मन के महतारी बने के साध पूरी होय के खुसी मा अम्मल मा सात महीना के रथे तभे सधौरी गीत गाए के परम्परा  हे- महल मा खड़े बालम, अपन रानी ला मधु पीपर पीये बर मनावत हे-
महला मा ठाढि़ बलम जी, अपन रनिया मनावत हो
रानी पीलो मधुर पीपर, होरिल बर दूध आहै हो-
रानी कथे-
करु कसैल पीपर ला कइसे पीयवं ? मोर दांत तो कपूर कस उज्जवल हे-
कइसे के पियऊँ करुरायर, अउ झर कायर हो
कपूर बरन मोर दाँत पीपर कइसे पियब हो-
बालम कथे-
मधुर पीपर नी पीबे ते मैं दूसर बिहाव
कर लुहूं। पीपर के झार पहर भर रथे, अउ मधु के झार हा दुपहर फेर सउत के झार हर जनम भर रही
मधुर पीपर नइ पीबे
त कर लेहूं दूसर बिहाव
पीपर के झार पहर  भर
मधु के दुई पहर हो
सउती के झार जनम भर
सेजरी बंटोतिन हो...
सउत के झार जनम भर ला सुन के रानी कटोरा ला उठाके मधु पीपर पी लेथे
कंचर कटोरा उठावव
पीलेहूं मधु पीपर हो...
छट्ठी सांवर अउ सोहर
लइका जनम के छै दिन मां छट्ठी होथे। परिवार अउ कुटुम्ब के मनखे मन इही दिन 'सांवरÓ बनाथे। छट्ठी के दिन जच्चा अउ बच्चा ला नहवा खोरा के पवित्र करथे लइका जनम के खुशी मा संझा कना रामायण के पवित्र कार्यक्रम होथे जेमा लइका के नाम धरे के संगे संग सोहर गीत घलो गाए के परम्परा है-
पहिली गनेस पद गावौं मैं चरन मनावौं
हो ललना बिघन हरन जन नायक हो
ललना सोहर पद गावौं हो...
लोरी गीत
लइका हा जब पदोथे नी ते पेट सेंके के बखत रोथे ता एदे गीत ला गावत गावत भुलवारथे-
तरी नरी नाना रे बेटा
तरी नरी नाना गा
तरी नरी नाना रे बेटा
तरी नरी नाना ये गा
सुति जबे सुति जबे बेटा
सुति जबे सुति जबे गा
सुति जबे सुति जबे बेटा
सुति जबे सुति जबे गा
लोक खेल गीत
छत्तीसगढ़ मा लगभग एक सौ पचास से जादा लोक खेले जाथे। चन्द्रमोहन चकोर हा अपन किताब 'छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेलÓ मा लोक खेल मन के संकलन करे हे। गीत प्रधान लोक खेल मा अजला, बजला, चुनचुन मलिया, अटकन, बटकन, गोल गोल रानी, घान्दी मुन्दी घोर दे, पोसम पा, खुड़वा नख्खी, कोबी, चिकि-चिकि बाम्बे, फुगड़ी, डांडी पौहा, इल्लर-डिल्लर, जांवर-जीयर, दार भात, झूलना, अउ भौरा आंथ। कुछ लोक खेल गीत मन के बानगी प्रस्तुत हे-
अटकन भटकन खेल गीत
अटकन भटकन के शुरुआत एदे गीत ले होथे...
अटकन-भटकन, दही चटाकन,
लउआ लाटा बन मा कांटा
चिहुरी-चिहुरी पानी गिरे, सावन मा करेला फूले
चल-चल बेटी गंगा जाबो न
गंगा ले गोदावरी जाबोन
बेल के डारा टूटगे
भरे कटोरा फूटगे
खुडुवा खेल गीत
खुडुवा शब्द छत्तीसगढ़ मा लोक प्रिय है। दुसर जघा खुड़ुवा ला कबड्डी के नाव ले जाने जाथे
वर्तमान समे मा खुडुवा ला अन्तरराष्ट्रीय चिन्हारी मिलगे हे। खुडुवा मा खुडवाये बर खु डु डु डु के संगे सगे एके हास्य गीत घलो प्रचलन मा हे...
खुमरी के आल-पाल-खाले बेटा बीरा पान
मैं चलवंव गोंटी, तोर दाई पोवय रोटी
मै मारंव मुटका, तोर ददा करे कुटका।
आमा लगे अमली, बगईचा लागे झोर
उतरत बेंदरा, खोंधरा ला टोर
राहेर के तीन पान, देखे जाही दिन मान
तुआ के तूत के, झपट भूर के
बिच्छी के रेंगना, बूक बाय टेंगना
तुआ लगे कुकरी, बहरा ला झोर
उतरा बेंदरा, खोंधरा ला टोर
चल कबड्डी ताले ताल, मोर मेछा लाले लाल।
फुगड़ी खेल गीत
फुगड़ी हा छत्तीसगढ़ मा नोनी मन के मनभावन खेल आय। नोनी मन फुगड़ी खेले के शुरुआत एदे गीत ले होथे
गोबर दे बछरु गोबर दे
चारो खूंट ला लीपन दे
चारो देरानी ला बइठन दे
अपन खाये गुदा-गुदा
हमला देथे बीजा
ये बीजा ला काय करबो
रहि जाबो तीजा
तीजा के बिहान दिन घरी-घरी लुगरा
चींव-चींव करे मंजूर के पिला
हेर दे भउजी कपाट के खीला
एक गोड़ मा लाल भाजी
एक गोड़ मा कपूर
कतेक लाल मानंव मैं
देवर ससुर
फुगड़ी रे फूं-फूं...
फुगड़ी रे फूं...
भौंरा ले जुड़े खेल गीत
भौंरा पुरुष प्रधान खेल आय। छत्तीसगढ़ मा भौंरा के तीन रुप चांदा, नौगोदिया अउ रट्ठ प्रचलित है। भौंरा गीत वोमा निकलइया ध्वनि ऊपर केन्द्रित है जइसे-
लॉवर मा लोर-लोर, तिखुर मा झोर-झोर
राय झुम-झुम बाँस पान, हंसा करेला पान
सुपली मा बेलपान
लट्ठर जा रे भौंरा
भुन्नर जा रहे...
बिहाव गीत
वंश परम्परा ला बढ़ाये बर पुरुष अउ माई लोगन के एक दूसर के संबंध ला पति अऊ पत्नी के रुप मा सामाजिक मान्यता मिले हे। बिहाव दु तन के मिलन के संगे संग दु आत्मा के मिलन आय। दुनो आत्मा ला मिलाए बर बिहाव संस्कार होथे, बिहाव संस्कार के अंतर्गत मंगनी, लगिन, सिकसा, मड़वा, चुलमाटी, मड़वा पूजा, मंडपाच्छादन, देवतला,  चिकट, लाईलावा, हरदाही, माय-मौरी, नहडोरी, मौर सौंपी, नकटा नाच, परघऊनी बरात स्वागत, मड़वा छुवउनी, भाजी खवउनी, कुवर कलेवा, कुंआरी पूजा, पाणिग्रहण, टिकावन, भांवर, पंगत, जेवनार, बिदाई, डोला परछन, धरमटीका, चौथिया आगमन अउ मउर विसर्जन आये।
विवाह संस्कार के गीत मन ला डॉ. पीसी लाल यादव हा छत्तीसगढ़ी संस्कार गीत मा अउ जमुना प्रसाद कसार हा छत्तीसगढ़ी गीत लोक कंठ का कलकल निनाद मा संकलित करे हे। उदाहरण स्वरुप कुछ बिहाव संस्कार गीत प्रस्तुत हे-
मंगनी गीत
ऊंचे चौंरा बबा ओ चोंपलिया
धन तुलसी के पेड़ हो
जेहि तरि बैठि बेटिया
वाही तरी हिंगुन सोना हो
मड़पाच्छादन गीत
सरई सरगोना के दाई
मड़वा छवई ले
बरे बिहई के रहि जाय
कि ये मोर दाई
सीता ला बिहावे राजा राम
चुलमाटी गीत
तोला माटी कोड़े ला, तोला माटी कोड़े ला
नई आवय मीत धीरे-धीरे
तोर बहिनी के कनिहा ला तीर धीरे-धीरे
तेलचघनी गीत
एक तेल चढिग़े
एक तेल चढिग़े
दाई हरियर-हरियर
वो हरियर-हरियर
मड़वा मा दुलरु
तोर बदन कुम्हलाय
नहडोरी गीत
तोला झूलना झूले ला
नई आवे हो दुलरु बाबू
तोर भाई ले के खोर गिंजरा
खा ले खा ले मिठई पेड़ा
तोर बहिनी ला लेगे साहेब डेरा
मौर सौंपनी गीत
दे तो दाई दे तो दाई
अस्सी वो रुपेया
के सुन्दरी ला लातेव बिहाय
सुंदरि सुंदरि बाबू
तुम झन रटिहौ
के सुंदरि देश बड़ दूर
बारात गीत
गांव अवधपुर ले चले बरतिया
गांव जनकपुरी जाये
ये हो राम गांवे जनकपुरी जाये
राजा जनक के पटपर भांठा
तंबू ला देवय तनाये
ये हो राम तंबू ले देवय तनाये...
नकटा नाच गीत
पांच रुपैया के भेड़वा बिसायेन
भेड़वन दारी रे तोरे लगवार भेड़वा...
खाल्हेच खाल्हे लेई चलो देवरा
ऊपरे हो देवरा परथे गोहारे ऊपरे...
धमसा नाच गीत
ये पार नंदी वो पार नंदी
बीच में भांठा कछार
हमर भईया के बिहाव होवत हे
लगे हे रुपिया हजार
वो भईया लगे हे रुपिया हजार
बारात स्वागत गीत
कै दल आवथे
हथियन घोड़वा
के कै दल आवथे बराते
के अब देखो हो ललना
दस दल आवथे हथियन घोड़वा
के बीस दल आवथे बराते...
परघनी गीत
हाथ धरे लोटिया
खांधे मा धरे पोतिया
सगरी नहाय चले जाबो
पनिया हिलोरे
गौरी नहावय
परगे महादेव के छांही
साते समुंदर ला तैं धोये महादेव
परगे महादेव के छाहीं...
भड़वनी गीत
नदिया तीर के पटुवा भाजी
उल्हवा-उल्हवा दिखथे रे
आये हे बरतिया ते मन
बुढ़वा-बुढ़वा दिखथे रे...
2
बाजा रे बाजे
दमऊ नइहे रे दमऊ नइहे
तोर घर के दुवारी में
समझ नई हे हो रे हो रे...
3
अइसन समधी
खोलाये-खोलाये, खोलाये-खोलाये
के लानव माटी छाबी देबो समधी ला
के लानब माटी छाबी देबो रे भाई...
भाँवर गीत
मधुरि-मधुरि पग धारव हो
दुल्हिन नोनी
तुहंर रजवा के
अंग झन डोलय हो
मधुरि-मधुरि पग धारव हो
दुल्हा बाबू
तुहंर रनिया के
अंग झन डोलय हो...
लगिन गीत
दे तो बाम्हन लगिन-चांउर हो
परे लखन के फेर बाम्हन हो
परे लखन के फेर
बाम्हन बोले गुरतुर बोली हो
परे लखन के फेर
बाम्हन बोले गुरतुर बोली हो
परे लखन के फेर
टिकावन गीत
कोन तोरे टिके नोनी
अचहर-पचहर
कोन तोर टिके धेनु गाय
के अवो नोनी कोन तोर टिके धेनु गाय
दाई तोर टिके नोनी अचहर-पचहर वो
ददा तो टिके धेनु गाय
सोहाग गीत
बांस लागे पोंगरी, पुरावन लागे कलगी
नोनी के मांग म सुहाग भरव ना
सबके सुहाग बहिनी अइसन-तइसन
नानी दाई के सुहाग मा सुहाग बाढ़े ना...
बिदा गीत
दाई-ददा बेटी ला ननपन ले पाले पोसे रथे बिहाव
के बिदा के दुख ला महतारी बाप जानथे-
आजि के  चंदा नियरे वो नियरे
दाई मैं काली जाहूं बड़ दूरे
वो दाई मैं
काली जाहूं बड़ दूरे...
डोला परछन गीत
काहन ला मारे
काहन लाल झोरे, काहन लाल झोरे
तैं काहन के कैना ला लाने
मालूद ला मारेंव दाई
बेलौदी ला झोरेंव वो
बेलौदी ला झोरेंव
परसोदा के कैना ला लानेंव दाई मोर
परसोदा के कैना ला लानेव दाई मोर...
मड़वा विसर्जन गीत
धन-धन बैंहा तुम्हरे ए राजा
हरिना मारन नई आवै ए राजा
हरिना तो मारथे उचाटे ए राजा
ओली-ओली खाए गुर चिंउरा ए राजा...
मृत्यु संस्कार गीत
छत्तीसगढ़ मा मृत्यु संस्कार गीत कबीर पंथी समाज मा मिलथे कबीर साहेब अउधनी धर्मदास के रचे साखी के माध्यम ले चौंका मा जीव उद्धार के कामना करथे-
बंगला अजब बने रे भाई
बंगला अजब बने रे भाई
ए बंगला के दस दरवाजा, पवन चलाव हंसा
जावत-जावत कोनो नई देखय, करे इसवर मनसा।।
गंगोरिया मन के स्वागत गीत
इंतकाल के बाद अस ला गंगा लेगथे अब अस ला छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम मा घलो अस्थि विसर्जन करथे। गंगोरिया मन के स्वागत मा जउन गीत गाथे वो प्रस्तुत हे...
गंगा बड़े गोदावरी
तीरथ बड़े केदार
सबले बड़े अजोधिया हो
जिंहे राम लिये अवतार हो
रंगमहल मा उड़त हे गुलाल हो
हो मुरली वाले बजइया
यशोदा मइया के लाल हो
तोर चरण के लागत हे मोला आस हो
मुरली वाला बजइया
साभार रऊताही 2015

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