Sunday 24 July 2011

जन-जन के आराध्य : जखई व मैकू

प्रा. आनंद यादव
उत्तरप्रदेश में ताज नगरी के नाम से विख्यात आगरा मण्डल के  फिरोजाबाद जनपद की सीमा पर शिकोहाबाद मार्ग पर जसराना तहसील अंतर्गत गंगा नहर से सटा एक गांव है- पैंड़ात। ऊबड़-खाबड़ भूमि पर बसे गाँव के ऊंचे टीले पर उत्कृष्ट वास्तु-कला से युक्तमंदिर के गगन-चुम्बी कलश व कुछ ही दूरी पर दाएं-बाएं विशाल गुम्बद युक्त मन्दिरों पर लहलहाती पताकाएं दूर-दूर के श्रद्धालु भक्तों को सदियों से ही अपनी ओर आकर्षित करती आई है।
'जय जखेश्वर  'जय मैकू व 'जय सच्चे दरबार के गगन भेदी जय घोष के साथ चहुँ
ओर से उमड़ती भीड़ को देखकर भौतिकता की चकाचौंध में डूबी-मानव मन की आँखें
अपना अस्तित्व ही खो बैठती हैं। धर्म, जाति, वर्ण, रंग, लिंग आदि का भेदभाव किए
बिना सर्व धर्म सद्भाव के इस पुनीत स्थल पर बाल, युवा, वृद्ध सभी नर-नारियों का सदा
ही विशाल जमघट लगा ही रहता हैं। दूर देहातों से आई बैलगाडिय़ों-ट्रैक्टर-ट्रालियों में
बैठी महिलाओं द्वारा ढोलक की  थाप पर लोकगीत व पुरुषों द्वारा गाए जाने वाले 'जश
जखेश्वर महाराज की कीर्ति को दूर-दूर तक गुंजायमान  करते हैं।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश मुख्यत:  आगरा, कानपुर, फतेहगढ़ व रूहलेखण्ड मण्डलों के नगरों,
कस्बों व गाँवों के निवासी वर्ष में एक बार अवश्य ही आषाढ़ या माघ माह में इस लोक
देवता की सच्ची शक्ति के दर्शन व 'जात-पूजा करने सपरिवार जखेश्वर देव के सच्चे
दरबार में पहुँच ही जाते हैं। शौर्य व पराक्रम के प्रतीक इन वीरों का सच्चे मन से गुणगान
करने पर गृहस्थ-सुख, सन्तान, आरोग्य आदि सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
मन्दिर ही मन्दिर-पैंडात ग्राम के दक्षिण दिशा में एक छोर पर विशाल गुम्बद युक्त मन्दिर
में घोड़े पर सवार हाथ में तलवार लिए धर्मधारी देवता की भव्य मूर्ति है व पास ही सटे
मन्दिर में हाथी पर सवार मैकूदेव व आगे पीलवान बैठा हैं भक्तगण दूर से ही लाल चूनर
लिपटे नारियल में यथाशक्ति भेंट रख कर देवता के चरणों में अर्पित करते हैं व माथा
टेककर आगे बढ़ते जाते हैं। कभी-कभी तो आषाढ़ व माघ माह से 'जातÓ के दिनों में तो
नारियलों के ऊंचे ढेर में देवता की मूर्ति ही विलुप्त सी हो जाती है। बाहर चबूतरों पर हवन
व पूजा पाठ आदि माँगलिक कार्य सम्पन्न होते हैं। मुख्य चढ़ावा नारियल, प्रसाद, पुष्प-
पताका व दही आदि का होता है। मन्दिर प्रागंण में एक ओर शिशुओं का मुण्डन व नव
विवाहित जोड़ों की गाँठ बाँधकर आशीर्वाद दिया जाता है। 'जात के दिनों में अद्र्धरात्रि के
बाद मन्दिर में उमड़ती भीड़ को नियंत्रित करना ही कठिन हो जाता है दूर तक फैले क्षेत्र में
बैलगाडिय़ों, ट्रैक्टर, ट्रालियों, कारों आदि के बीच-नर-मुण्ड ही दिखाई पड़ते हैं।
ठीक यही स्थिति गाँव के उत्तर में स्थित 'श्री जखेश्वर मन्दिर की होती है। यहाँ-जहाँ
पत्थर या जखई का चौरा पर स्थापित जखेश्वर देव की प्रतिमा है व पास के मंदिर में
'सीता माता कल्याणी की भव्य प्रतिमा है भक्तगण दोनों ही मन्दिरों में अपने श्रद्धा सुमन
अर्पित करते परिक्रमा कर देवता से मनौती माँगते है।
मन्दिर का चढ़ावा ब्राह्मण, हरिजन, धानुक आदि सातों जाति के लोग मुख्यत: मदहे व
बरोठे कुरी के आभीर आपस में बाँट लेते हैं। पैड़ात के निकट ही ढलान पर बैर की
झाडिय़ों के बीच में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, शिव लिंग भूमि में काफी अन्दर
धंसा है यहाँ शिवरात्रि को भारी मेला लगता है।
जखइ एक अप्रतिम योद्धा- स्थानीय जन मानस में दूर-दूर तक जखई व मैकू देव की
काफी मान्यता व महत्ता है व जितने मुख उतनी बातें वाली विभिन्न किवदन्तियां जखई व
मैकू यादव के विषय में कहने व सुनने को मिल जाती हैं। एक प्रचलित लोकोक्ति के
अनुसार जखई व मैकू यादव दोनों भाई महोबा के परिमादिदेव या परिमाल चन्देल राजा के
यहां उच्च पदों पर नियुक्त सामन्त थे, एक समय जब दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान
संयोगिता स्वयंवर में जयचन्द की राजकुमारी संयोगिता को बलपूर्वक दिल्ली ले जा रहे थे
जंगबाज जखई व महाबली मैकू नेअपने वीर साथियों के साथ उनका डटकर मुकाबला
किया व पृथ्वी राज चौहान के 40 वीर सरदारों का अंत कर दिया। अपनी पराजय से
तिलमिलाएं पृथ्वीराज ने संयोगिता को हाथ से निकलते देख शब्द भेदी बाण चला कर
धोखे से जखई यादव का सिर धड़ से अलग कर दिया फिर भी शीशविहीन जखई के धड़
ने भयंकर मारकाट मचाकर पृथ्वीराज को विस्मिृत सा कर दिया अन्त में लड़ते-लड़ते
जहां जखई यादव का धड़ गिरा वह स्थान जखई का चौरा या जखड़ा पत्थर कहलाता है।
अनुज मैकू को जब खबर लगी तो दिल्ली नरेश को उसकी धृष्टता का सबक सिखाने
अकेले ही दिल्ली चल पड़ा। भाई के विछोह में कई दिनों के भूखा-प्यासे 'हाय जखईÓ
की रट लगाते मैकू को पृथ्वी राज चौहान ने तीन सौ सैनिकों का घेरा डालकर धोखे से
कैद कर लिया व चन्देल राजा के इस प्रभावशाली सामन्त का अंत में वध कर दिया।
मोहम्मद गौरी द्वारा गजनी में बन्दी बनाए गए पृथ्वीराज चौहान के साथ दुव्र्यवहार किऐ
जान पर चौहान राजा को जखई व मैखू के साथ किये गए छल पर घोर पश्चाताप हुआ था
व जी भर कर रोए भी थे।
यही जंगबाज जखई व महाबली मैकू अपनी अदम्य वीरता व साहस के कारण ग्रामीण
जनमानस में 'देवता व 'ईश्वर के नाम की उपमा से विभूषित किए गए हैं। उनकी
ससुराल पैड़ात के निकट घघेरी में बने उनके स्थान पर लाखों श्रद्धालु आज भी मनौती
माँगते अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। 'जखई देव सब की भेंट स्वीकार कर लेते हैं
किन्तु यदि कोई व्यवधान या कष्ट पहँुचाता है तो उस पर रूष्ट भी हो जाते हैं।
कौडिय़ों का कारोबार-प्राचीन समय में प्रत्येक कार्य के एवज में सिक्कों के स्थान पर
कौड़ी देने की परम्परा का अनुसरण आज भी यहां होते देख विस्मय होता है। स्नान, ध्यान,
दिशा मैदान, पूजा-पाठ आदि के बदले में भक्त जन 'बारात में बखेर की भांति कौडिय़ों
को फेंक देते हैं। बच्चे झपट कर कौडिय़ों का उठा ले जाते हैं। केवल यही नहीं अपनी
ससुराल पैड़तवासियों द्वारा की गयी धृष्टता के कारण व जखेश्वर के शाप से ग्रसित गाँव
के लोग धन-सम्पन्न होते हुए आज भी कौडिय़ों के लिए तरसते व याचना करने को
विवश है।
एक प्राचीन जैन मन्दिर-पैंड़त ग्राम के मध्य ऊँचे टीले पर बना गगनचुम्बी कलश से युक्त
प्राचीन जैन मन्दिर भी मेले में आए लाखों श्रद्धालु भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है।
मंदिर का शिखर व कलश वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने है। श्री कृष्ण के तवेरे भाई भगवान
नैमिनाथ महाराज ने कभी यहां वास किया था। मन्दिर में अष्टधातु की मूर्ति भी प्राप्त हुई है।
मन्दिर की अधिकांश मूर्तियाँ आगरा स्थानांरित हो जाने से यह मंदिर अब वीरान सा पड़ा
है।
पाढम बनाम परीक्षित पुरी- पैड़ात के ठीक सामने पूर्व दिशा में स्थित पाढम गांव में एक
पुराना खेड़ा है कभी यहाँ प्राचीन काल में परीक्षित पुरी थी जहां राजा जन्मजेय ने नाग यज्ञ
आयोजित किया था। खेड़ें पर एक विशाल हवन-कुण्ड, प्राचीन कुएं व सिक्कों, मूर्तियों
आदि के रूप में कई पुरातात्विक अवशेष मिलने के संकेत है। पैड़ात व पाढम दोनों ही
स्थलों पर यदि उत्खन्न कराया जाएं तो निश्चय ही अतीत के गर्भ में डूबे हुए कई
ऐतिहासिक तथ्य उजागर हो सकेंगे।
लाखों लोगों की आध्यात्मिक आस्था, एकता और समता का संगम-स्थल जखेश्वर देव
का यह मेला जहां हमारी धार्मिक भावनाओं को उद्वेलित कर हमारी संस्कृति को नया
सम्बल प्रदान करता है वहां यह भी आवश्यक है कि मेले की बढ़ती लोकप्रियता व
श्रद्धालुओं की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि को दृष्टिगत रख प्राचीन स्थल का जीर्ण द्वार व
जन-सुविधाअें का विस्तार किये जाने पर यह स्थल निसंदेह पर्यटन स्थली का रूप धारण
कर सकता है।
यदि पुरातत्व विभाग द्वारा अनुसंधानकर्ता इस क्षेत्र में यंत्र-तंत्र बिखरी पुरातात्विक सम्पदा
से परिपूर्ण इस प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई व अध्ययन में तनिक भी रुचि ले तो
निश्चय ही भारत देश के गौरवपूर्ण इतिहास की यत्र-तत्र बिखरी सामग्री व सभ्यता प्रकाश
में आ सकती है। पूर्वी उत्तरप्रदेश में प्रचलित लेरिकायन लोक गाथा के अनुरूप पश्चिमी
उत्तरप्रदेश मेंं जखई देव की वीरता व पराक्रम से संबंधित 'जश के रूप में फैली
लोकगाथा जनमानस में अपार श्रद्धा व ख्याति  प्राप्त कर सकती हैं राज प्रसादों व ऊंची
अटालिकाओं में बैठकर लेखनरत इतिहास वेत्ताओं द्वारा उपेक्षा व विस्मृति के बाद भी
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बीहड़ों में यह लोक काव्य आज भी महक रहा है और जनमानस
के मन मस्तिष्क में शौर्य व शक्ति के प्रतीक जखई व मैकू देव आज भी रचे बसे से है।
(साभार रौताही 2011)
                                                          44 नेहरु मार्ग पो. टनकपुर नैनीताल 
                                                          (उत्तराखण्ड), पिन- 262309

51 comments:

  1. Jakhai maharaj ke gaaw paidhat se kisi bhi prakaar ka koi bhi saman lane kyu nahi diya jata hai.
    Vijay kumar
    9039614679

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  2. Kripa batayen ki Kya jakhai maharah kisi insaan par aate hain?

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  3. Narbir. Aaj tak maine esa kahi nahi suna hai.

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  4. Narbir. Aaj tak maine esa kahi nahi suna hai.

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  5. Haan aate Hai jakhayi Maharaj logo par

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    1. Bhai baba hmse naraj h hm kya kre plz bataye hm bht paresaan h

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  6. Jakhayi maharaja ki Jai ho

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  7. हमारे यहां इसकी बहुत ही महत्ता है,सब लोग अपने बड़े पुत्र की जात कराने जखई जाते हैं जिसके मां या पिता का साथ जाना अनिवार्य है तथा लौटते समय कुछ भी खरीद कर नहीं लाना होता है।

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  8. मेरे परिवार में जखईया बाबा की पूजा होती देख मैं अपने बुजुर्गों से जखईया बाबा के बारे में जानने के लिए पूछता था लेकिन मेरे परिवार में कोई भी इस देवता के बारे में जानकारी नहीं रखता है। क्या कोई सज्जन (बाबा का सच्चा भक्त) मुझे जखईया बाबा के मंदिर पहुंचने रास्ता बता सकता है तथा बाबा के बारे में जानकारी दे सकता है । मै दिल्ली में रहता हूँ ।मेरी ईमेल आईडी है:- varunlal.1982@gmail.com

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    1. Bilkul Bhai
      Mai bta skta hu
      Ap Mujhe 9453896288 pe call kr skte h

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    2. पुष्पेंद्र सिंह 9716375475

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    3. Google par search karo maharaj ji ka mandir mil jayega .bas pahuch jao.

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  9. आपने मुझे जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अपना फोन नंबर साझा किया है। आप दोनों भाइयों का कोटि कोटि धन्यवाद। मैं आप दोनों से जल्दी ही सम्पर्क करुंगा । 🙏

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  10. Jaat ki puja ke liye kya karna padta hai aur Hum Sab maharaj ka Darshan karne 26 may ko Jaa rahe hai pehli baar. Aap Hum batayain wahan jakar kya karna hoga

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  11. https://youtu.be/AWPAkuv9VPE

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  12. Hmse baba rushth ho gye hai hm darbar bhi ho aaye hai relief diye hai pr abhi completely nhi plz bataye hm kya kre.

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  13. Jai baba ki ye btae mai apne sasural walo k saath ni rhti mera divorce ho gya h lekin mere sasural k kul devta jhakhai baba h or mere pati bde ldke h or meri beti h ek wo bdi or tisri pidhi me h jo jinda h to maine uske darshan kraya jisme mai or meri beti thi to kya ye pura ni hoga

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    1. Waise jaha Tak mujhe pata h, Shadi ki jaat couples ki sath me hoti h. Aur bade ladke ko le Jana jaroori hota h. Fir b aap akeli h aur Beti ko le k gayi, aapki problems ko b Maharaj samjhenge aur Pooja accept karenge.

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  14. Jai ho jakhai mahraj

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  15. Bhai jakhai baba ka kheda kha par hai or inka chalan kha se hai or inke mata pita ka kya naam tha or inke guru kon the or inki bhet kya di jati hai

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  16. ahiro.k.kuldevta kun h ....
    aur yadavo.k.kuldevta kun h plz btane ka kast kre mujhe jankri dein jakhai mahraj ka mandir kidhr hain. jai ho
    jakhai maharj ki jai ho

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  17. ahiro ki kuldevi kun h plz btane ka kast kre

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  18. क्या जखई महाराज का मन्दिर नरसिंहपुर में भी है

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  19. Kya jakhai maharaj ko dhular dev bhi Kehte Hai

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  20. भाई हमारे यंहा जखई बाबा के नाम से बकरे की bali दी जाती है वो भी लड़के के होने पर और लड़के के शादी होने पर भाई मुझे कुछ समय पहले तक बाबा पर विस्वास नहीं था मै ये समझाता था की कोई भी भगवान किसी निर्दोष की bali नहीं ले सकता इसी वजह से मै inke mandir नहीं जाता था और काफ़ी सालो तक गया भी नहीं लेकिन कुछ समय से मेरे एक पैर मे काफ़ी दर्द hota था जिसका मैंने काफ़ी इलाज भी करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ to हमारे यंहा गाय ने बचिए को जन्म दिया to उसका दूध को चढ़ाने के लिए घर वालो ने मुझे ही भेजा बाबा के mandir मे to मै गया लेकिन बेमन से वंहा जा कर बाबा से बोला की बाबा अगर आपमें सच्चाई है to मेरी तकलीफ दूर करो to मै मानूंगा की आप मे सच्चाई है to भाई उसके कुछ ही दिनों ke बद से मेरे पैरो का दर्द to कंही गायब सा हो गया तब से लेकर आज तक मेरे पैरो मे दर्द नहीं हुआ है ये सब बाबा की मेहरबानी हो गई मुझपर तभी से मुझे बाबा पर विस्वास हो गया ब मेरा एक सवाल है की बाबा बकरे की bali लेते है kya pleace ब बताना जरूर आपके जवाब का इंतजार रहेगा

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    1. वली तो दी जाती है पर बकरे का थोड़ा सा कान काट के छोड़ दिया जाता हैं

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    2. Nahi mera village yhi h esa kuchh nhi hota

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  21. Replies
    1. हैं आरती महराज जी की

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  22. Jakhami maharaj ke darshan ko kab jana chahiye

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  23. Sardiyo me ya garmi me koi bataye

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    1. वैसे आप paindaat कभी भी चले जाओ पर उनका मेला ( माह ) Feb k महीने m Lagta h । Wo Dekh Kar Aapka Dil Khush ho Jayega। Mandir ki सजावट & महाराज जी को तैयार किया जाता h , उन दिनों दर्शन करना चाहिए

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  24. Trust ka phone no ho to bataye hum Ahmedabad me rahte hey

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  25. Hamare ghr me bhi bahut dikkat chal rahi h sab log paresan h fir jb pucha gya to pta chla ki jakhai maharaj naraj h please agr kisi ko pta h ki kese manay maharaj ji ko to btaye please🙏

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  26. आप उनके darwar ( paaindat) में जाकर उनसे प्रा्थना करो, jakhai महाराज बड़े दयालु हैं, सब ठीक हो जाएगा। कुछ बोला हुआ अधूरा रेह गया है तो पूरा कर देना ।

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  27. जय jakhai महाराज की जय
    सदा आपकी कृपा भक्तों पर बनी रहे

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  28. Jay Ho sacche Darbar ki Jay Ho Mere jakhai Maharaj ki

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  29. Jakhai maharaj kese paresan krna chhor dete h

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  30. Rajasthan me jakhai mahaaraaj ka koi mandir

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  31. This comment has been removed by the author.

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  32. Is Mah jakhai mandir ki jankari

    https://youtu.be/oDkMNemucqI

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