Tuesday 4 December 2012

शौर्य कला व कौशल का प्रदर्शन होगा

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य 8 दिसंबर को रावत नाच महोत्सव के रूप मे होने जा रहा है. लाल बहादुर शास्त्री शाला के मैदान में रावत नर्तकों का महाकुंभ लगेगा और उनके देवारी तिहारी का चर्मोत्कर्ष दिखाई पड़ेगा. जिस दिन समूचा प्रदेश दीपावली पर्व मनाता है उस दिन को यहां का रावत समाज सूरहूती पर्व मनाता है इसके बाद तुलसी विवाह जेठौनी एकादशमी के दिन से वह अपना देवारी तिहार मनाता है. छत्तीसगढ़ ऋषि एवं कृषि संस्कृति का प्रदेश है. रावत इसी संस्कृति से जुड़ा हुआ समाज है. खेती और पशु इस संस्कृति के अहम पहलू है जो रावत समाज के बिना पूर्ण नहीं होता.
6 हजार  से अधिक नर्तक एक ही दिन एक ही स्थल पर जमा होकर अपनी कला एवं कौशल का प्रदर्शन करें. देश में भी किसी अन्य लोक  नृत्य का इतना वृहत रूप नहीं दिखाई देता जितना कि रावत नाच महोत्सव में दिखाई देता है.
 शास्त्री शाला परिसर में 8 दिसंबर की रात इंद्रधनुष की आभा दिखाई देगी. रंग बिरंगे पोषाकों में सजे धजे नर्तकों का झिलमिल प्रदर्शन महोत्सव में चार चांद लगाएगा. ग्रामीण अंचलों से ऐसी खबरें मिल रही हैं रावत नर्तक गोल अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक उत्साह से महोत्सव में शामिल होने को कमर कस चुके हैं. इसकी एक वजह यह है कि समूचे अंचल में धान की फसल अच्छी हुई है.

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